"प्रबंधन के सिद्धांत": अवतरणों में अंतर

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# '''पारिश्रमिक''' - श्रमिकों को पर्याप्त रूप से भुगतान किया जाना चाहिए। क्योंकि यह कर्मचारियों का मुख्य प्रेरणा है। और इसलिए उत्पादकता को बहुत प्रभावित करता है। क्वांटम और देय पारिश्रमिक के तरीके को उचित, तर्कसंगत और प्रयास का पुरस्कृत होना चाहिए।
# '''पारिश्रमिक''' - श्रमिकों को पर्याप्त रूप से भुगतान किया जाना चाहिए। क्योंकि यह कर्मचारियों का मुख्य प्रेरणा है। और इसलिए उत्पादकता को बहुत प्रभावित करता है। क्वांटम और देय पारिश्रमिक के तरीके को उचित, तर्कसंगत और प्रयास का पुरस्कृत होना चाहिए।
# '''केंद्रीयकरण की डिग्री''' - केंद्रीय प्रबंधन के साथ चलाने वाली शक्ति की मात्रा कंपनी के आकार पर निर्भर करती है। केंद्रीकरण का मतलब है शीर्ष प्रबंधन में निर्णय लेने वाले प्राधिकरण की एकाग्रता है।
# '''केंद्रीयकरण की डिग्री''' - केंद्रीय प्रबंधन के साथ चलाने वाली शक्ति की मात्रा कंपनी के आकार पर निर्भर करती है। केंद्रीकरण का मतलब है शीर्ष प्रबंधन में निर्णय लेने वाले प्राधिकरण की एकाग्रता है।
# '''प्राधिकरण/स्केलर चेन की रेखा''' - यह शीर्ष प्रबंधन से सबसे कम रैंक तक लेकर वरिष्ठों की श्रृंखला को संदर्भित करता है। सिद्धांत बताता है कि सभी स्तरों पर सभी प्रबंधकों को ऊपर से नीचे तक अधिकार की एक स्पष्ट रेखा होना चाहिए।
# '''ऑर्डर''' - सोशल ऑर्डर एक कंपनी के तरल संचालन को आधिकारिक प्रक्रिया से सुनिश्चित करता है। सामग्री ऑर्डर कार्यस्थल में सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करता है। ऑर्डर स्वीकार्य और कंपनी के नियमों के तहत होना चाहिए।
# '''न्यायसम्य (Equity)''' -




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08:12, 17 मई 2017 का अवतरण

प्रबंधनो के फैसलों और कार्यों के लिए दिशानिर्देश प्रबंधन सिद्धांत हैं।

प्रबंधन के लिए फयोल के 14 सिद्धांत

प्रबंधन के सिद्धांत आवश्यक, अंतर्निहित कारक हैं जो सफल प्रबंधन की नींव बनाते हैं। अपनी पुस्तक जनरल और इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट (1916) में हेनरी फेयोल के अनुसार, चौदह 'प्रबंधन के सिद्धांत' हैं।

  1. काम का विभाजन - इस सिद्धांत के अनुसार, पूरे काम को छोटे कार्यों में विभाजित किया जाना चाहिए। किसी व्यक्ति के कौशल, श्रम शक्ति के भीतर विशिष्ट निजी और व्यावसायिक विकास का निर्माण और उत्पादकता में वृद्धि के अनुसार कार्यबल विशेषज्ञता को बांटे जिससे श्रम की दक्षता बढ़ जाती है।
  2. प्राधिकरण और उत्तरदायित्व' - यह जिम्मेदारी के बाद उनके परिणामों के लिए आदेशों का मुद्दा है। प्राधिकरण का मतलब है कि उसके अधीनस्थों (Subordinate) को आदेश देने के लिए वरिष्ठ का अधिकार; उत्तरदायित्व का मतलब है प्रदर्शन के लिए दायित्व।
  3. अनुशासन - यह आज्ञापालन, दूसरों के संबंध में उचित आचरण, अधिकार का सम्मान आदि है। सभी संगठनों के सुचारु संचालन के लिए यह आवश्यक है।
  4. आदेश की एकता - यह सिद्धांत बताता है कि प्रत्येक अधीनस्थ (Subordinates) को आदेश प्राप्त करना चाहिए और केवल एक अधिकारी के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। अगर किसी कर्मचारी को एक से अधिक अधिकारी से आदेश प्राप्त होता है। तो यह भ्रम और संघर्ष पैदा करने की संभावना रखता है।
  5. दिशा की एकता - सभी संबंधित गतिविधियों को एक समूह के तहत रखा जाना चाहिए। उनके लिए कार्रवाई की एक योजना होनी चाहिए, और वे एक प्रबंधक के नियंत्रण में होनी चाहिए।
  6. आपसी हित के लिए व्यक्तिगत रुचि का अधीनता - प्रबंधन को निजी विचारों को अलग करना चाहिए और कंपनी के उद्देश्यों को सबसे पहले रखा जाना चाहिए। इसलिए संगठन के लक्ष्यों के हितों को व्यक्तियों के निजी हितों पर प्रबल होना चाहिए।
  7. पारिश्रमिक - श्रमिकों को पर्याप्त रूप से भुगतान किया जाना चाहिए। क्योंकि यह कर्मचारियों का मुख्य प्रेरणा है। और इसलिए उत्पादकता को बहुत प्रभावित करता है। क्वांटम और देय पारिश्रमिक के तरीके को उचित, तर्कसंगत और प्रयास का पुरस्कृत होना चाहिए।
  8. केंद्रीयकरण की डिग्री - केंद्रीय प्रबंधन के साथ चलाने वाली शक्ति की मात्रा कंपनी के आकार पर निर्भर करती है। केंद्रीकरण का मतलब है शीर्ष प्रबंधन में निर्णय लेने वाले प्राधिकरण की एकाग्रता है।
  9. प्राधिकरण/स्केलर चेन की रेखा - यह शीर्ष प्रबंधन से सबसे कम रैंक तक लेकर वरिष्ठों की श्रृंखला को संदर्भित करता है। सिद्धांत बताता है कि सभी स्तरों पर सभी प्रबंधकों को ऊपर से नीचे तक अधिकार की एक स्पष्ट रेखा होना चाहिए।
  10. ऑर्डर - सोशल ऑर्डर एक कंपनी के तरल संचालन को आधिकारिक प्रक्रिया से सुनिश्चित करता है। सामग्री ऑर्डर कार्यस्थल में सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करता है। ऑर्डर स्वीकार्य और कंपनी के नियमों के तहत होना चाहिए।
  11. न्यायसम्य (Equity) -