स्नातक कार्यक्रम (दिवि)/हिंदी 'ख'/गद्य का उद्भव और विकास
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(हिंदी 'ख'/गद्य का उद्भव और विकास से अनुप्रेषित)
स्नातक कार्यक्रम हिंदी ख से संबंधित यह पत्र दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम के अनुरूप है। यह :बी.ए. (प्रोग्राम) चौथे अर्द्धवर्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी 'ख' के पाठ्यक्रम पर आधारित पाठ सामग्री है।
पाठ्यक्रम
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]इकाई-१
हिंदी गद्य का उद्भव और विकास
हिंदी गद्य रूपों का सामान्य परिचय
इकाई-२
बूढ़ी काकी - प्रेमचंद
उसने कहा था - चंद्रधर शर्मा गुलेरी/
चीफ की दावत- भीष्म साहनी
इकाई-३
मेले का ऊँट - बाल मुकुंद गुप्त/
ठेले पर हिमालय - धर्मवीर भारती
सदाचार का ताबीज - हरिशंकर परसाई/
इकाई-४
अंधेर नगरी - भारतेंदु हरिश्चंद्र
बिबिया - महादेवी वर्मा