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विकिविश्वविद्यालय से

"भारत में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संकट गहरा रहा है"

नई दिल्ली, नवम्बर 2024:

भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण देशभर में स्वास्थ्य संकट गहरा रहा है। खासकर उत्तर भारत के प्रमुख शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुँच चुका है, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है। पर्यावरण और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण से सिर्फ श्वसन प्रणाली ही प्रभावित नहीं हो रही, बल्कि यह दिल, दिमाग और अन्य अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

दिल्ली, गुरुग्राम, लुधियाना और कानपुर जैसे शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कई दिनों से 300 के पार चला गया है, जो कि 'खतरनाक' श्रेणी में आता है। इससे सांस लेने में कठिनाई, खांसी, आंखों में जलन और अन्य शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा या दिल से संबंधित रोगों से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति और भी घातक हो सकती है।

प्रदूषण के प्रमुख कारण

प्रदूषण के कई कारण हैं, जिनमें औद्योगिकीकरण, वाहनों का बढ़ता रेजिस्टर, निर्माण कार्य और कृषि में पराली जलाना शामिल हैं। खासकर पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलाने का चलन बढ़ा है, जिससे सर्दियों में धुंआ और प्रदूषण की समस्या अधिक गहरी हो जाती है। इसके अलावा, दिल्ली और अन्य उत्तर भारतीय शहरों में भारी ट्रैफिक, कारखानों से निकलने वाली जहरीली गैसें, और कचरा जलाने के कारण भी प्रदूषण स्तर में इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य पर प्रभाव

विशेषज्ञों के अनुसार, बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, श्वसन तंत्र की अन्य बीमारियां और हृदय रोग जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। हवा में उपस्थित खतरनाक प्रदूषक तत्व, जैसे कि पीएम 2.5 (जो हानिकारक कण होते हैं) शरीर के अंदर जाकर श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुँचाते हैं। इसके अलावा, प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल रहा है, जिससे तनाव, चिंता और अन्य मानसिक रोगों का खतरा बढ़ रहा है।

सरकारी प्रयास और समाधान

सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि वाहनों की प्रदूषण-निरोधक तकनीकें लागू करना, कचरा प्रबंधन योजनाओं को सख्ती से लागू करना, और हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाना। इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने ‘ऑड-इवन’ योजना भी लागू की थी, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि, प्रदूषण के स्थायी समाधान के लिए लंबी अवधि के कदमों की जरूरत है, जैसे कि सार्वजनिक परिवहन का प्रोत्साहन, पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान, और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना।

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दिल्ली से ऋषिकेश

प्रस्तावना

ऋषिकेश, जो उत्तराखंड राज्य का एक प्रसिद्ध शहर है, धार्मिक और साहसिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ गंगा नदी का शांत और निर्मल पानी, हरे-भरे पहाड़, योग और ध्यान के केंद्र, और रोमांचक एडवेंचर गतिविधियाँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। मेरी यात्रा दिल्ली से ऋषिकेश तक एक अविस्मरणीय अनुभव रही, जिसे मैं इस यात्रा वृत्तांत में आपके साथ साझा करना चाहता हूँ।

यात्रा की शुरुआत

यह यात्रा एक गर्मी की छुट्टी पर हुई थी। मैंने अपने दोस्तों के साथ ऋषिकेश जाने का निर्णय लिया था, और हमें यह भी पता था कि यह यात्रा शारीरिक और मानसिक शांति पाने के लिए आदर्श रहेगी। सुबह जल्दी उठकर, हम दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ने के लिए पहुँचे। ट्रेन की टिकटें हम पहले ही ऑनलाइन बुक कर चुके थे, और यात्रा के लिए हम उत्साहित थे। हमारी ट्रेन का नाम था "हिमगिरि एक्सप्रेस", जो दिल्ली से ऋषिकेश तक जाती है।

ट्रेन यात्रा का अनुभव

ट्रेन में यात्रा करते हुए, हमें रास्ते में कई छोटे-छोटे गांव और खूबसूरत हरे-भरे खेत दिखाई दे रहे थे। हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा को पार करते हुए, यात्रा में यह दृश्य बहुत मनमोहक था। ट्रेन की खिड़की से बाहर देखना एक अलग ही अनुभव था – गांवों के बीच से गुजरती हुई ट्रेन, और बीच-बीच में दूर-दूर तक फैले खेतों के दृश्य दिल को सुकून देते थे। ऋषिकेश पहुंचने की आशा मन में बनी हुई थी, और जैसे-जैसे हम उत्तराखंड के करीब पहुँच रहे थे, पहाड़ों का दृश्य और भी सुंदर होता जा रहा था।

ऋषिकेश में आगमन

करीब 6 घंटे की यात्रा के बाद, हम ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। यहाँ का मौसम काफी ठंडा और ताजगी से भरा हुआ था, जो गर्मी से राहत दे रहा था। स्टेशन से बाहर आते ही हमें पहाड़ी हवा का एहसास हुआ। स्टेशन से बाहर निकलते ही, हमने एक टेम्पो-टैक्सी ली जो हमें हमारे होटल तक ले गई।

होटल में ठहराव और पहले दिन की सैर

हमारा होटल गंगा किनारे स्थित था, जहाँ से गंगा का दृश्य बहुत सुंदर था। होटल में चेक-इन के बाद, हम गंगा घाट पर गए। वहां पर राम झूला और लक्ष्मण झूला के दर्शन किए। इन झूलों के ऊपर से गंगा का बहता हुआ पानी और घाट पर बैठकर ध्यान लगाते साधुओं का दृश्य बहुत शांति और शांति प्रदान करता था। हम कुछ देर वहाँ बैठकर गंगा की लहरों को देख रहे थे और अपने अंदर की शांति को महसूस कर रहे थे।

दूसरे दिन की साहसिक यात्रा

अगले दिन, हमने ऋषिकेश के प्रसिद्ध योग और ध्यान केंद्रों का दौरा किया। हम कुछ देर के लिए योग कक्ष में गए, जहाँ हम योग शिक्षक द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए ध्यान लगाने की कोशिश करते थे। इसके बाद हम बंगाल टाइगर रिजर्व का भ्रमण करने गए, जहाँ हमें ट्रैकिंग करने का अवसर मिला।

उस दिन का मुख्य आकर्षण था रिवर राफ्टिंग। गंगा की लहरों पर राफ्टिंग करते हुए, जो रोमांचक अनुभव था, वह शब्दों में कहना मुश्किल है। तेज बहाव, राफ्ट का संतुलन बनाए रखना और ठंडे पानी में तैरने का अनुभव बहुत मजेदार था।

सांस्कृतिक और धार्मिक अनुभव

ऋषिकेश एक धार्मिक स्थल भी है, और हम वहाँ के प्रमुख मंदिरों का दौरा करने गए। त्रिवेणी घाट पर हमने गंगा आरती में भाग लिया, जो एक बेहद भव्य और आध्यात्मिक अनुभव था। घाट पर सूर्यास्त के समय हजारों दीपों की रौशनी, मंत्रों का जाप और गंगा की लहरों की आवाज ने हमें आंतरिक शांति और शांति का अनुभव कराया।

वापसी यात्रा

हमारी यात्रा का अंतिम दिन था, और हम वापस दिल्ली लौटने के लिए तैयार हो गए। इस बार हमने बस से दिल्ली जाने का निर्णय लिया। पहाड़ों की सुंदरता और रास्ते में छोटी-छोटी झीलों और बस्तियों का दृश्य देखकर सफर बहुत ही रोमांचक और मनमोहक बन गया।