सहायक शिक्षक पाठ्यक्रम/सक्रिय आत्म-आलोचना
कई लोग तर्कसंगत बातों को अधिक महत्व देते हैं, क्योंकि वह विचार उनका होता है और यह एक अच्छा विचार या सही विकल्प हैं। यह किसी भी चीज से संबंधित हो सकता हैं। सक्रिय आत्म आलोचना का अर्थ है कि आपको किसी के आलोचना करने तक नहीं रुकना है या कोई बोले कि आपको अपनी आलोचना करनी चाहिए या कुछ, आपको सक्रिय रूप में हर समय अपनी आलोचना करने का कारण ढूँढना चाहिए, जिससे किसी को आपकी आलोचना करने हेतु कोई कारण ही न मिले।
सक्रिय आत्म-आलोचना का अर्थ हर पल अपनी आलोचना करने का कारण ढूंढना होता हैं। इसे कैसे करें और किस प्रकार से करें, इसके बारे में विस्तार से नीचे समझाया गया हैं। इसके महत्व और लाभ के बारे में भी आपको नीचे समझाया गया हैं। इसे अच्छे से समझने हेतु पूरा अंत तक पढ़ें।
तरीका
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]आप अपनी आलोचना कैसे कर सकते हैं या कैसे ढूंढ सकते हैं और किस प्रकार से इसे हमेशा अपने भीतर सक्रिय रख सकते हैं, यह सब आपके ऊपर है और आपको अपने अनुसार ही इसे व्यवस्थित रूप से करना चाहिए। फिर भी नीचे कुछ तरीके दिये हुए हैं, जिससे आप यह कार्य कर सकते हैं। नीचे दिये तरीकों को भी आपको हर कार्य के लिए अच्छी तरह जमा कर अलग अलग ढंग से ही करना पड़ेगा। क्योंकि हर कार्य अलग तरीके से ही आप करेंगे, इस कारण इन तरीकों को पढ़ कर समझें और उनसे सीखें कि किस प्रकार से आप इन तरीकों से हर समय इसे अपने ध्यान में रख कर कार्य कर सकते हैं।
कार्य के पूर्व में
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]- किसी भी कार्य को शुरू करने से पूर्व यह देख लें कि क्या आप उस कार्य को कर सकते हैं या आप उस कार्य को अच्छे से कर सकते हैं या नहीं,
- आप जिस कार्य को शुरू करना चाहते हैं, उसके बारे में आपको सभी प्रकार की जानकारी है या नहीं,
- यह देख लें कि उसे करने से कोई आपकी आलोचना कर सकता है या नहीं,
- यदि कोई आलोचना कर सकता है तो क्या करें कि आलोचना न कर सके,
कार्य के बीच में
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]- कार्य करते समय आपको इसका भी ध्यान रखना है कि आप कार्य कब समाप्त करेंगे।
- कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जिसे पूरा करने के बाद ही उसे छोड़ना होता है और कुछ कार्य आप बाद में भी कर सकते हैं, तो पूरा करने के बाद ही छोड़ने वाले कार्य को पूरा करने की ही कोशिश करें।
- यदि आप किसी कार्य को बीच में ही छोड़ रहे हैं, तो उसके लिए कोई सही और महत्वपूर्ण कारण भी होना चाहिए
कार्य के बाद में
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]- यदि कोई कार्य पूरा हो जाये, तो भी एक बार देख लें कि कहीं कोई त्रुटि तो नहीं रह गई है।
- हो सकता है कि कोई और कार्य भी हो जिसे आप भूल गए।
- यदि कोई त्रुटि नहीं है और कुछ भूले भी नहीं हैं तो भी अपने कार्य को देख कर उसमें आलोचना करने लायक कुछ भी ढूंढने का प्रयास करें।
- यदि इससे जुड़ा सभी कार्य हो गया और आलोचना करने लायक कारण ढूंढ कर उसे ठीक कर लिए तो अगले कार्य के लिए तैयार हो जाएँ।
आवश्यकता
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]सक्रिय आत्म-आलोचना को क्यों सक्रिय रहना चाहिए? इसका अर्थ ये नहीं है कि केवल आप अपने आप की आलोचना करें। आपको इसके लिए किसी के द्वारा बोले जाने की प्रतीक्षा भी नहीं करनी चाहिए कि कोई बोले तभी आत्म आलोचना करेंगे। अपने दिमाग में इस बात को अच्छी तरह से बैठा लें कि सहायक शिक्षक अपनी गलती के सामने आने से ही सीखता है, वो भी बिना किसी के दिखाये कि आपने गलती की हैं। यदि कोई अन्य आपको बोले कि आपने यहाँ गलती की है तो वह आपके उत्साह को कम कर सकता है।
लाभ
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]सक्रिय आत्म आलोचना से आप किसी को भी अपनी आलोचना करने का मौका नहीं देते हैं, उससे पूर्व ही आपको अपनी गलती का या व्यवहार का पता चल जाता हैं। इससे आप बिना किसी के कुछ कहे ही अपने अंदर सुधार ला सकते हैं और आपकी छवि भी अच्छी बने रहेगी। इसके अलावा इसके कारण आपका उत्साह भी कम नहीं होगा, क्योंकि कई बार किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा टोकने पर या किसी प्रकार की आलोचना करने पर लोगों का उत्साह कम हो जाता हैं। यदि आप अपनी आलोचना स्वयं ही करेंगे और उसे सुधार भी लेंगे तो किसी अन्य को आलोचना करने का मौका नहीं मिलेगा।