खनन इंजीनियरिंग
खनन इंजीनियरिंग (Mining engineering) को इंजीनियरिंग में एक विशेष शाखा के रूप में पेश किया जाता है जो खनन-सर्वेक्षण, खनन के मशीनीकरण और औद्योगिक खनिजों सहित विज्ञान और इंजीनियरिंग दोनों के अंतःविषय पहलुओं पर जोर देती है।
खनिज निष्कर्षण और उत्पादन की आवश्यकता किसी भी तकनीकी रूप से कुशल समाज की एक अनिवार्य गतिविधि है।
प्राथमिक प्रकार की दो खदान होती है:-
- भूमिगत खदान
- ओपन-पिट खदान
खनन इंजीनियरिंग से निकटता से जुड़े इंजीनियरिंग विषय निम्नलिखित हैं:
- सिविल इंजीनियरिंग
- पर्यावरण इंजीनियरिंग
- भू-तकनीकी इंजीनियरिंग
- हाइड्रोटेक्निकल इंजीनियरिंग
- भूवैज्ञानिक इंजीनियरिंग
- इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
- संरचनात्मक इंजीनियरिंग
खनन इंजीनियरिंग के विशिष्ट क्षेत्रों में पानी के नीचे की खानों, समुद्री जल और भूमिगत गैसीकरण से खनिजों की निकासी शामिल है।
योग्यता मापदंड
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]- अंडरग्रेजुएट के लिए
विद्यार्थी को सीबीएसई या कोई अन्य समकक्ष परीक्षा बोर्ड से 10+2 (इंटर) की परीक्षा उत्तीर्ण होनी चाहिए। तथा भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित बिषय बोर्ड में मुख्य रूप से होने चाहिए।
- पोस्टग्रेजुएट के लिए
विद्यार्थी के पास इंजीनियरिंग में बी.टेक या बी.ई की डिग्री होनी चाहिए, जिसमें ग्रैजुएशन स्तर पर अध्ययन किए गए विषयों में न्यूनतम उत्तीर्ण प्रतिशत होना चाहिए।