साहित्य और हिंदी सिनेमा

विकिविश्वविद्यालय से

साहित्य और सिनेमा के अंतस्संबंधों की बुनियाद है - शब्दों और दृश्यों का आपसी संबंध। इन्हीं के उपयोग (appropriation), रूपांतरण (adaptation) और मिलावट (adulteration) के आधार पर हम साहित्य और सिनेमा के संबंधों को व्याख्यायित कर सकते हैं। सिनेमा भी भाषिक और दृश्य-विधान में एक सामाजिक-सांस्कृतिक पाठ ही है। बांग्ला में सिनेमा को 'बोई' (किताब) शायद इसीलिए कहते हैं। इस पाठ में विभिन्न कक्षाओं के माध्यम से हम साहित्य और सिनेमा के इन्हीं पहलुओं पर अंतरअनुशासनात्मक ढंग से विचार करेंगे।

तैयारी[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]

यह पश्चिम बंग राज्य विश्वविद्यालय के स्नातक स्तर के चौथे सेमेस्टर का पाठ्यक्रम है। सीखने वाले को सिनेमा संबंधी मूलभूत अवधारणाओं से परिचित होना चाहिए।

पाठ[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]

  1. सिनेमा
  2. विधागत स्तर पर सिनेमा का स्वरूप और उसकी सैद्धांतिकी
  3. हिंदी सिनेमा का उद्भव और विकास
  4. सिनेमा में दृश्य योजना और कैमरे की भूमिका
  5. तकनीक और सिनेमा - संभावनाएँ और चुनौतियाँ
  6. अछूत कन्या
  7. तीसरी क़सम
  8. गर्म हवा
  9. तारे जमीं पर
  10. पानसिंह तोमर

सहायक सामग्री[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]